(फीचर इमेज: कौशाम्बी उत्तर प्रदेश में यमुना की ऑक्स बो लेक अलवारा में भ्रमण के दौरान मनोज मिश्र। फोटो: डॉ एस आर टैगोर, दिसंबर 2012)
“मेरे जीवन काल में तो यमुना की हालत में सुधार संभव नहीं है पर आने वाली पीढ़ी शायद एक जीवित नदी देख पाएं”, यह बात मनोज मिश्र जी ने वर्ष 2013 में उस समय कही थी जब वे यमुना में आई बाढ़ का मुआयना कर रहे थे। आज यमुना नदी संरक्षण को समर्पित प्रख्यात पर्यावरणविद मनोज मिश्र हमारे बीच नहीं हैं। विगत दो माह तक करोना से जूझने के बाद, 04 जून 2023 को मनोज जी का निधन हो गया।
देश की राजधानी दिल्ली में सालभर मृत अवस्था में रहने वाली यमुना, केवल बाढ़ के समय ही थोड़ी अवधि के लिए खुद को साफ़ करते हुए उद्गम से संगम तक एकरूप में बहती है। इसे मनोज जी नदी के लिए वरदान मानते थे और सरकारों से यमुना बाढ़ क्षेत्र (खादर) को बचाने और नदी में अविरल बहाव को लाने के लिए समग्र सोच के साथ गंभीर प्रयास की अपेक्षा रखते थे। वास्तव में नदी खादर का बचाव एवं नदी में प्राकृतिक बहाव की बहाली मनोज जी के यमुना शोध एवं संरक्षण कार्य का केंद्र बिंदु रहे।
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