रुचिश्री, असिस्टेंट प्रोफेसर, भागलपुर विवि
साल 2006 की बात है। मैं छत्तीसगढ़ की शिवनाथ नदी के 22.6 किलोमीटर हिस्से के निजीकरण की खबर पर रिसर्च कर रही थी। एक सवाल सहज ही मेरे मन में कौंधा कि आखिर नदियां क्या हैं? महज पानी का स्रोत या जीवित इकाई? वे राज्य की संपत्ति हैं या किसी की निजी बपौती? या कहीं वे उस पर आश्रित लोगों की साझा संपत्ति व सांस्कृतिक धरोहर तो नहीं?
Continue reading “नदियां हमसे कुछ कहना चाह रही हैं, बशर्ते हम गौर से सुनें”