अत्यधिक दुखःद समाचार है कि अनुपम मिश्र जी नहीं रहे। 19 दिसंबर 2016 को प्रातः 05:27 पर दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका देहांत हो गया।
पानी के मुद्दों और भारत की नदियों पर स्पष्ट विचारों वाले, सरल किंतु प्रभावशाली भाषाशैली के धनी, अत्यंत उदार और विनम्र अनुपम जी समान व्यक्तित्व दुर्लभ है। जैसा रवि चोपड़ा जी ने कहा है वे सही में अनुपम थे।
अनुपम जी भारतीय नदी सप्ताह 2016 के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे और वर्ष 2014 भगीरथी प्रयास सम्मान चुनाव समिति के सदस्य थे और वर्ष 2015 में इस समिति के अध्यक्ष बने।
खराब स्वास्थ्य के बावजूद वे भारतीय नदी सप्ताह की आयोजन समिति की बैठकों में वे लगातार उपस्थित रहें, अंतिम बार सितंबर 2016 की बैठक में वे मौजूद थे और भारतीय नदी सप्ताह 28 नवंबर 2016 के शुभांरभ के समय भी वे उपस्थित रहे , जहॉ पर हमेशा की तरह उन्होने अपना सरल, स्पष्ट किंतु मर्मस्पर्शी व्याख्यान दिया। वे शाररिक रूप से थके और कमजोर थे , इस सबके बावजूद वे आए जो पर्यावरण के प्रति उनके समर्पण की मिसाल है।
व्यक्तिगत तौर पर वे मेरे (हिमांशु ठक्कर) प्रति बहुत उदार थे और मुझे हमेशा प्रेरित करते रहते थे। हमने कभी भी नहीं सोचा था कि एक दिन हमें उनसे अलग होना पडेगा। उनके चले जाने से देश और पर्यावरण को हुई क्षति की भरपाई नामुमकिन है। परंतु उनकी प्रकृति शिक्षा और अनुभव उनके द्वारा रचित स्पष्ट, सरल और सारंगर्भित लेखों और पुस्तकों के माध्यम से हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती रहेंगी।
किताबों के समान उनके व्याख्यान भी ज्ञान और अनुभव से भरे हुए प्ररेणास्रोत है। उनके दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ते रहने के लिए, दुख की घड़ी में हम, उनके द्वारा भारतीय नदी दिवस (28-30 नवंबर 2016) में दिए गए उनके अंतिम व्याख्यान को, उन्हें श्रृद्धांजलि के तौर पर अर्पित करते हुए, आपके साथ सांझा कर रहे हैं ।
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