FANTASTIC piece of work that shows how Ministtry of Finance, NITI Ayog, MoWR and MoEF raised objections to the National Waterways bill, but it was bull dozed by Gadkari, without even sharing the comments with cabinet.
पोत परिवहन मंत्रालय को यह चेताया गया था कि व्यापक विचार-विमर्श के बिना किसी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करना सही नहीं होगा. इतनी बड़ी संख्या में राष्ट्रीय जलमार्ग विकसित करने पर न सिर्फ केंद्र सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ेगा बल्कि पर्यावरण को भी गहरा नुकसान होगा, जिसे कभी ठीक नहीं किया जा सकता है. द वायर द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त किए गए आधिकारिक दस्तावेजों से ये खुलासा हुआ है कि वित्त मंत्रालय ने एक ही बार में इतने सारे जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने के फैसले को लेकर कड़ा ऐतराज जाहिए किया था.फाइल नोटिंग और आधिकारिक पत्राचारों की करीबी जांच से यह भी पता चलता है कि वित्त मंत्रालय की टिप्पणियों को केंद्रीय कैबिनेट के सामने विचार के लिए रखा ही नहीं गया और कैबिनेट ने बिना इसके ही राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक, 2015 के प्रस्ताव को 25 मार्च 2015 को मंजूरी दे दी थी.
– देश के 106 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने के फैसले को लेकर केंद्र के दो प्रमुख विभाग नीति आयोग और वित्त मंत्रालय ने कड़ा विरोध जताया था.
– पांच फरवरी 2015 को भेजे अपने जवाब में नीति आयोग ने कहा कि जिन जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने का प्रस्वाव रखा गया है, उसे लेकर ये चर्चा नहीं हुई कि आखिर किस आधार पर इन्हें राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया जा रहा है.आयोग के यातायात विभाग ने अपने पत्र में लिखा, ‘सबसे पहले किसी भी नदी को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने के लिए कुछ व्यापक मापदंड जैसे कि उद्योगों से संपर्क, पर्यावरण प्रभाव आकलन, पूरे साल में पानी की मौजूदगी, नौपरिवहन इत्यादि तय किए जाने चाहिए.’