डॉ जैकब स्टीनर, पोस्टडॉक फेलो भूगोल और स्थानिक अनुसंधान संस्थान, ग्राज़ विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रिया (jakob.steiner@uni-graz.at) और अमृत थापा, डॉक्टरेट छात्र, फेयरबैंक्स विश्वविद्यालय अलास्का (aamritjnu@gmail.com) द्वारा एक त्वरित जोखिम आकलन रिपोर्ट। इस रिपोर्ट का अंग्रेजी अनुवाद यहाँ देखें।
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दुनिया भर में बांधों को हटाने में वृद्धि
हिमांशु ठक्कर
सभी बड़े बांधों की उम्र सीमित होती है। क्या आपने कभी सोचा है कि एक बार बांध का उपयोगी जीवन समाप्त होने पर उसका क्या होता है? इसे हटाना होता है जिसे डीकमीशनिंग कहते हैं। डीकमीशनिंग का मतलब[i] बांध और उससे जुड़ी संरचनाओं को पूरी तरह हटाने से है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े बांध निर्माता के रूप में भारत के लिए यह एक बहुत ही प्रासंगिक सवाल है। यह मुद्दा इसलिए और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि अब बड़े बांध न तो आवश्यक है और न ही व्यावहारिक। इसके अलावा अब बहती नदियों के महत्व को तेज़ी से सराहा जा रहा है। यह ध्यान में रखना ज़रूरी है कि किसी बांध को बिना उचित रखरखाव के नदी पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इससे बांध के नीचे की ओर रहने वाले समुदाय और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बना रहता है।
Continue reading “दुनिया भर में बांधों को हटाने में वृद्धि”उत्तराखंड: चौथान में ‘बादल फटा’, आपदा तंत्र फिर नदारद
बुधवार-गुरुवार (28-29 जुलाई) की दरमियानी रात में हुई अत्यधिक बारिश ने पौड़ी जिले की थलीसैंण तहसील में स्थित चौथान पट्टी के कई गांवों को प्रभावित किया है। गनीमत है कि कोई हताहत नहीं हुआ है लेकिन गांव और सार्वजनिक सम्पति के अलावा स्थानीय फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
जहां जिले के अंतिम हिस्से में बेतहाशा बारिश हुई, वहीं डुमणीकोट के ग्रामीणों ने ‘बादल फटने’ की घटना से मची तबाही की सूचना दी। यह गांव पौड़ी-चमोली-अल्मोड़ा जिलों की सीमा पर स्थित है।
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