सरदार सरोवर परियोजना (एसएसपी) बांध के अनियोजित संचालन से 16 सितंबर, 2023 की रात से शुरू होकर गुजरात और मध्य प्रदेश में आई बाढ़, कई जिलों के लाखों लोगों के लिए अकल्पनीय आपदा बनकर सामने आई है। इस बांध निर्मित बाढ़ से हुए नुकसान की अभी भी पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस बीच इस टाली जा सकने योग्य आपदा का एक और दिलचस्प पहलू सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि 6 सितंबर से 16 सितंबर 2023 तक एसएसपी के 1200 मेगावाट रिवर बेड पावर हाउस (आरबीपीएच) में कोई बिजली उत्पादन नहीं हुई।
इसका मतलब न केवल लगभग 270 मिलियन यूनिट (एमयू जिसकी कीमत यदि 3 रुपये प्रति यूनिट के निचले दर से भी आंकी जाए तो लगभग 80 करोड़ रुपये से अधिक है) के बिजली उत्पादन का नुकसान हुआ। साथ ही इस मात्रा में बिजली उत्पादन हेतु बांध से 1200 क्यूमेक्स या, 42000 क्यूसेक की दर से प्रतिदिन पानी छोड़ा जाता जिसकी मात्रा इन दस दिनों में लगभग 12000 क्यूमेक्स या 4.2 लाख क्यूसेक होती, यदि यह सारा पानी को 24 घंटे की अवधि में छोड़ दिया गया होता। एसएसपी बांध में इतनी मात्रा में कम पानी भंडार करके इस बाढ़ के प्रभाव को बड़े पैमाने पर कम किया जा सकता था।
कई सरकारी एजेंसियों की सम्भागिता: चूंकि एसएसपी एक अंतरराज्यीय परियोजना है जिसमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात द्वारा 57:27:16 के अनुपात में बिजली साझा की जाती है, इसलिए एसएसपी बिजली घरों के संचालन में तीनों राज्यों के आधिकारिक एजेंसियों की भागीदारी होती है और इन बिजली घरों के संचालन सम्बंधित कोई भी निर्णय अंतरराज्यीय समन्वय समिति नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) द्वारा लिया जाता है। इसलिए 5 सितंबर से आरबीपीएच की सभी छह इकाइयों का संचालन बंद करने का निर्णय एनसीए द्वारा लिया और अनुमोदित किया गया होगा।
इसका मतलब यह भी है कि इस निर्णय को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की भाजपा शासित राज्य सरकारों की मंजूरी थी, क्योंकि वे आरबीपीएच में उत्पन्न बिजली के क्रमशः 57 और 27% लाभार्थी हैं। चूंकि एनसीए अनिवार्य रूप से केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के अधीन है, इसका मतलब है कि जलशक्ति मंत्रालय को भी इस बात की जानकारी थी और उसने इस कदम को मंजूरी दी थी। यह सब दर्शाता है कि 5 सितम्बर से एसएसपी बांध बिजली घरों को बंद करना इन सभी एजेंसियों की मंजूरी और जानकारी में लिया गया एक पूर्व नियोजित कदम है।
एनसीए वेबसाइट पर दैनिक रिपोर्ट गायब: एनसीए वेबसाइट प्रतिदिन जलाशय और बिजली संयंत्र संचालन पर एक दैनिक रिपोर्ट प्रकाशित करती है। यह दैनिक जलाशय रिपोर्ट एसएसपी सहित नर्मदा घाटी के प्रमुख जलाशयों में मौजूद दैनिक जलस्तर, जल प्रवाह आवक और निर्गमन (इनफ्लो & ऑउटफ्लो) की जानकारी प्रदान करती है। इसी तरह, इस वेबसाइट पर दैनिक जल विद्युत प्लांट रिपोर्ट; एसएसपी के आरबीपीएच और सीएचपीएच (कैनाल हेड पावर हाउस) में प्रतिदिन बिजली उत्पादन की जानकारी प्रदान करती है। अजीब बात है कि एनसीए वेबसाइट पर 6 सितंबर, 2023 के बाद से ऐसी कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। [इस रिपोर्ट के अंग्रेजी संस्करण को प्रेषित करने के बाद एनसीए ने अब इस रिपोर्ट को वेबसाइट पर डाल दिया है जिससे हमारी कही बात सही साबित होती है।]
क्या वास्तव में 16 सितंबर, 2023 से पहले आरबीपीएच पूरे दस दिनों तक चालू नहीं था? इस बात की पुष्टि हेतु हमें सूचना के अन्य आधिकारिक स्रोतों पश्चिमी क्षेत्र लोड डिस्पैच सेंटर की वेबसाइट[i]और नेशनल पावर पोर्टल[ii] से दैनिक बिजली उत्पादन रिपोर्ट का सहारा लेना पड़ा। इन दोनों वेबसाइटों पर उपलब्ध तिथिवार जानकारी साबित करती है कि वास्तव में आरबीपीएच की छह 200 मेगावाट इकाइयों में से कोई भी 6 सितंबर से 15 सितंबर तक दस दिनों के लिए चालू नहीं थी। इन तिथियों के दौरान सीएचपीएच की 50 मेगावाट की पांच इकाइयों में से चार (पांचवीं बंद थी) चालू थी, लेकिन वह भी पूरी क्षमता से काफी कम थी।

यह ध्यान में रखते हुए कि अगस्त 2023 में कम वर्षा के दौरान, आरबीपीएच ने 842.67 एमयू या लगभग 27.18 एमयू प्रतिदिन बिजली उत्पन्न की, जब पानी का स्तर भी आम तौर पर सितंबर 2023 की तुलना में कम था, हम मान सकते हैं कि आरबीपीएच इन दस दिनों के दौरान प्रतिदिन कम से कम 27 एमयू बिजली उत्त्पन्न सकती थी।
सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (एसएसएनएनएल) द्वारा जारी 2023 बाढ़ ज्ञापन[iii] के अनुसार, आरबीएचपी की एक इकाई पूरी क्षमता पर चलने पर 200 क्यूमेक्स (7000 क्यूसेक) पानी छोड़ती है, इसलिए आरबीपीएच की 6 इकाइयां 1200 क्यूमेक्स (42,000 क्यूसेक) पानी छोड़ेंगी। जब दस दिनों के लिए आरबीपीएच के ना चलने से रोके गए कुल पानी की मात्रा की गिनती की जाती है तो पता चलता है कि अकेले इस कारक से एसएसपी बांध से पीक फ्लड डिस्चार्ज को 18.61 लाख क्यूसेक (17 सितंबर को 0500 बजे) से घटाकर 13.42 लाख क्यूसेक तक किया जा सकता था।
यह मानते हुई कि एसएसपी से पीक डिस्चार्ज में कमी 16 सितंबर को 18:00 बजे से 17 सितंबर को 22:00 बजे तक के 28 घंटों में फैली हुई है, जिससे इस पूरी अवधि के दौरान पीक डिस्चार्ज घटकर 38,000 क्यूमेक्स या 13.42 लाख क्यूसेक से कम हो गया है। उल्लेखनीय है कि एसएसएनएनएल अधिकारियों के पास अग्रिम कार्रवाई करने के लिए लगभग 72 अतिरिक्त घंटे थे, इस तरह एसएसपी बांध से पीक फ्लड डिस्चार्ज को लगभग 6-7 लाख क्यूसेक तक कम किया जा सकता था, जिसका मतलब व्यावहारिक रूप से एसएसपी बांध के ऊपरी और निचले इलाकों में 17-18 सितम्बर 2023 को कोई बाढ़ ही नहीं होनी चाहिए थी।

उपरोक्त तथ्यों से पूरी तरह स्पष्ट है कि एसएसएनएनएल, गुजरात सरकार, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), एनसीए सहित अन्य कई एजेंसियों की गलती के कारण, सरदार सरोवर योजना ने एक ऐसी बांध निर्मित बाढ़ की आपदा पैदा की जिसे पूरी तरह से टाला जा सकता था। क्या इसके पीछे परियोजना अधिकारियों की मंशा यह थी कि वे प्रधानमंत्री के जन्मदिन 17 सितंबर 2023 के अवसर पर एसएसपी बांध के स्पिलवे से बहते पानी का नजारा पेश करें, यह दूसरा मुद्दा है।
तथ्य यह है कि परियोजना अधिकारियों ने एसएसपी बांध के ऊपरी और निचले इलाकों में लाखों लोगों के लिए मानव निर्मित आपदा पैदा की। चूँकि वे 2019 और 2020 समेत पहले भी ऐसा करते आ रहे हैं और बिना किसी जवाबदेही एवं सज़ा के बच गए हैं, इसका मतलब है कि वे एसएसपी बांध से ऊपरी और निचले इलाकों में रहने आबादी के लिए ऐसी कृत्रिम बाढ़ आपदा को बनाना जारी रखेंगे और इन लोगों के लिए हर साल एक बांध निर्मित बाढ़ का खतरा मंडराता रहेगा।
सितंबर 2020 से भी ज्यादा नुकसान: अभी तक इस बांध निर्मित बाढ़ से हुए नुकसान की पूरी जानकारी ज्ञात नहीं है, लेकिन जो भी सुचना उपलब्ध है, उससे यह स्पष्ट है कि इस वर्ष नुकसान अन्य वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है। जिसका अंदाज़ा इस पहलु से भी लगाया जा सकता है कि सितंबर 2020 की एसएसपी निर्मित बाढ़ में पीक फ्लड डिस्चार्ज (उच्चतम पानी निर्गमन) 10.5 लाख क्यूसेक था जबकि इस बार एसएसपी से पीक फ्लड डिस्चार्ज 18.61 लाख क्यूसेक का हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक[iv] अब तक अकेले भरूच जिले में:
– भरूच, अंकलेश्वर जैसे शहर बुरी तरह बाढ़ प्रभावित हैं।
– 4 तहसीलों के 216 गांवों में 59,164 पक्के मकान और 44,911 कच्चे मकान, बाढ़ प्रभावित हो चुके हैं।
– 1.34 लाख हेक्टेयर में फसलें नष्ट हो चुकी है।
– 5.94 लाख लोग किसी न किसी तरह प्रभावित हुए हैं।
– व्यापार, उद्योगों, लोगों के घरों और सामान्य जीवन पर विपरीत असर हुआ है।

एसएसपी पर 50 साल बाद आई ऐसी बाढ़: एसएसपी बाढ़ ज्ञापन (मेमोरेंडम) 2023 के अनुसार, एसएसपी पर 50 साल की बाढ़ का प्रवाह 62,345 क्यूमेक्स या 22.07 लाख क्यूसेक माना जाता है। इसकी तुलना में, इस बार 17 सितंबर को सुबह 01:00 बजे एसएसपी में अधिकतम प्रवाह 63,950 क्यूमेक्स या 22.58 लाख क्यूसेक था। इसका मतलब यह है कि सितम्बर 2023 में एसएसपी में बाढ़ प्रवाह 50 साल की बाढ़ से अधिक था, इसलिए यह निश्चित रूप से 50 साल में आई बड़ी बाढ़ थी। जैसा कि हमने अपने पिछले ब्लॉग में लिखा है, यह 14 सितंबर को शुरू हुई भारी बारिश का परिणाम था, जिसपर सीडब्ल्यूसी और एसएसएनएनएल दोनों ने ध्यान नहीं दिया और समय से पूर्वानुमान लगाने में विफल रहें। इन दोनों संस्थानों की यह घोर विफलता ऐसी बाढ़ की भविष्यवाणी करने और अग्रिम कार्रवाई करने की हमारी क्षमता पर गंभीर सवाल उठाती है। यदि सभी उपलब्ध जानकारी के बावजूद भी हम चरम प्रवाह (पीक इनफ्लो) का भी पूर्वानुमान नहीं लगा सकते, तो ऐसी आपदाओं को रोकने और कम करने या प्रबंधन करने की आशा कैसे की जा सकती है?

क्या एसएसपी बांध पर सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों से अधिक पानी आया और छोड़ा गया? अगर हम सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों पर गौर करें तो एसएसपी से अधिकतम बाढ़ निर्गमन (डिस्चार्ज) 17 सितंबर को सुबह 05:00 बजे 18.61 लाख क्यूसेक था। हालांकि, एसएसएनएनएल बाढ़ ज्ञापन 2023 के अनुसार, 38.9 मीटर (ऊपर दिए गए सीडब्ल्यूसी के गरुड़ेश्वर हाइड्रोग्राफ के अनुसार इस वर्ष गरुड़ेश्वर अधिकतम बाढ़ स्तर) के जलस्तर पर, सीडब्लूसी के गरुड़ेश्वर बाढ़ निगरानी स्थल पर बाढ़ प्रवाह 60,550 क्यूमेक्स या 21.38 लाख क्यूसेक होना चाहिए; जोकि सीडब्ल्यूसी के एसएसपी बांध के लिए दर्शाये गए 18.61 लाख क्यूसेक के पीक आउटफ्लो से काफी ज्यादा है।

इसी प्रकार भरूच में गोल्डन ब्रिज (ऊपर सीडब्लूसी के भरुच बाढ़ निगरानी स्थल का हाइड्रोग्राफ देखें) पर 12.34 मीटर के वास्तविक चरम जल स्तर के साथ, प्रवाह 65000 क्यूमेक्स या 22.95 लाख क्यूसेक होगा, जो सीडब्ल्यूसी हाइड्रोग्राफ के अनुसार 18.61 लाख क्यूसेक के पानी छोड़ने से काफी अधिक है। एसएसपी से नीचे बढे बाढ़स्तर का कारण बांध से नीचे का जलग्रहण क्षेत्र हो सकता है पर सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों में भी गलती होने की सम्भावना है।
क्या निर्माणाधीन भाडभूत बैराज ने ऊपरी क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति खराब कर दी? गुजरात में नर्मदा नदी पर भरूच से नीचे भाडभूत बैराज निर्माणाधीन है। इस परियोजना के लिए वर्तमान में बैराज के उत्तरी और दक्षिणी दोनों ओर से लगभग 400 मीटर नदियों को अवरुद्ध कर दिया गया है, जिससे बीच में बाढ़ के प्रवाह के लिए लगभग 800 मीटर का ही क्षेत्र रह गया है। बाढ़ के रास्ते में यह रुकावट, भाडभूत से ऊपर नर्मदा नदी के दोनों किनारों की जमीन को जलमग्न कर सकती है। गुजरात में कई लोगों को यह आशंका है कि निर्माणाधीन भाडभूत परियोजना इस बाढ़ आपदा को और बढ़ाने का एक कारण हो सकती है। इस बात का अध्ययन एक स्वतंत्र समिति द्वारा किया जाना चाहिए। नर्मदा मंत्री और मुख्यमंत्री दोनों के पास एकमात्र लचर बहाना यह है कि जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश हुई, ऊपरी बांधों से पानी छोड़ा गया और एसएसपी बांध में 22 लाख क्यूसेक से अधिक आवक प्रवाह हुआ जिसे वे 18.61 लाख क्यूसेक तक कम करने में कामयाब रहे। इससे कुछ भी स्पष्ट नहीं होता और यह वास्तव में लोगों की बुद्धिमता का अपमान है।
जब इन तथ्यों के बारे में पहले से ही पता था, तो उन्होंने उपलब्ध जानकारी के आधार पर अग्रिम कार्यवाही विज्ञप्ति क्यों जारी नहीं की? वे आवक प्रवाह (इनफ्लो) का पूर्वानुमान क्यों नहीं लगा सके? उन्होंने 16 सितंबर से पहले दस दिनों तक आरबीपीएच की किसी भी इकाई का संचालन क्यों नहीं किया, जबकि ये इकाईयां पूरे अगस्त माह और 5 सितंबर तक संचालित की गई थी? उन्होंने कोई आपदा प्रबंधन योजना क्यों नहीं बनाई? उन्होंने, एसएसपी द्वारा 2020 सहित अतीत में उत्पन्न बांध निर्मित बाढ़ आपदाओं की कोई जवाबदेही तय क्यों नहीं की? पूर्व में हुई ऐसी लापरवाहियों की कोई जांच क्यों नहीं हुई?

वास्तव में ऐसे अनेक वाजिब सवाल हैं, जिनका एसएसपी संचालन संबंधित एसएसएनएनएल, गुजरात सरकार, एनसीए, सीडब्ल्यूसी समेत केंद्र सरकार, एनडीएमए, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार एवं अन्य एजेंसियों को गुजरात और मध्य प्रदेश के लाखों लोगों को जवाब देने की जरूरत है जो इस टाली जा सकने वाली एसएसपी बांध निर्मित बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए लिंक देखें[v]। इस लेख के प्रथम भाग को पढ़ने के लिए लिंक हिंदी एवं अंग्रेजी देखें।
SANDRP (ht.sandrp@gmail.com)




PS: 1. गुजराती भाषा में प्रसारित इस वीडियो में एक आदिवासी लड़का बाढ़ आपदा के बारे में अपनी भावनाएं व्यक्त करता हुआ: https://www.facebook.com/watch/?extid=WA-UNK-UNK-UNK-IOS_GK0T-GK1C&mibextid=j8LeHn&v=1363318847593031
Other Parts of this analysis:
1. Part 1 of analysis in English: https://sandrp.in/2023/09/17/unaccountable-sardar-sarovar-operators-again-bring-avoidable-floods-in-downstream-gujarat/
2. Part 2 of analysis in English: https://sandrp.in/2023/09/20/avoidable-flood-disaster-from-unaccountable-sardar-sarovar-operation-why-was-river-bed-power-house-stopped-since-sept-6/
3. Part 1 of analysis in Hindi: https://shorturl.at/ctDM1
4. Part 2 of analysis in Hindi: https://shorturl.at/qxAOZ
सूत्र उद्धरण :-
[i] https://reporting.wrldc.in/dailyreports/PSP/2023/September/
[ii] https://npp.gov.in/dgrReports
[iii] https://www.sardarsarovardam.org/document/pagecontent/Flood%20Memorandum%202023.-1.pdf
[iv] https://watchgujarat.com/bharuch-narmada-river-water-run-into-city-drone-video-historic-situation
[v] https://sandrp.in/2023/09/20/avoidable-flood-disaster-from-unaccountable-sardar-sarovar-operation-why-was-river-bed-power-house-stopped-since-sept-6/