सरदार सरोवर परियोजना (एसएसपी) बांध संचालन अधिकारियों की लेटलतीफी और गैर-जिम्मेदार व्यवहार से गुजरात में बाँध के निचले इलाके एक बार फिर ऐसी बाढ़ की मार झेल रहे हैं जिसे काफी हद तक टाला जा सकता था। भरूच में गोल्डन ब्रिज पर जल स्तर आज 17 सितंबर, 2023 को उच्चतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) के करीब पहुंच रहा है, लेकिन अगर एसएसपी अधिकारियों ने समय रहते उपलब्ध जानकारी के आधार पर और बाँध संचालन नियमों जैसे रूल कर्व सिद्धांत का पालन कर कार्रवाई की होती तो इस बाढ़ का एसएसपी बाँध से ऊपरी और निचले दोनों क्षेत्रों में बहुत कम प्रभाव होता।
वास्तव में जिस बारिश के कारण एसएसपी में बाढ़ आई वह 14 सितंबर को खरगोन (40.9 मिमी), मंडला (69.2 मिमी), नरसिंहपुर (50 मिमी), सिवनी (137.9 मिमी), बालाघाट (149.6 मिमी), हरदा (23.6 मिमी) मिमी), जबलपुर (30.6 मिमी) और खंडवा (27.6 मिमी) जैसे जिलों में शुरू हुई। जैसा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा 15 सितंबर, 2023 को 0830 बजे जारी देश में जिलेवार 24 घंटों के दौरान हुई बारिश की रिपोर्ट में दर्शाया गया है। यदि एसएसपी अधिकारी और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने एसएसपी जलग्रहण क्षेत्र में प्रति घंटा हुई बारिश के आंकड़ों के आधार पर बाँध में पहुंचने वाली जलराशि का पूर्वानुमान जारी किया होता तो, वे 14 सितंबर को ही एसएसपी बांध से पानी छोड़ना शुरू कर सकते थे।
आईएमडी की 16 सितंबर 2023 को 08:30 बजे जारी, देश में जिलेवार हुई बारिश की रिपोर्ट बताती है कि एसएसपी जलागम क्षेत्र और ज्यादा बारिश हुई थी जिसका जिलेवार विवरण इस प्रकार है: खरगोन (144.6 मिमी), अलीराजपुर (108.2 मिमी), देवास (149.7 मिमी), धार (80.4 मिमी), हरदा (205.2) मिमी), झाबुआ (92.4 मिमी), खंडवा (147.6 मिमी) और नर्मदापुरम (131.7 मिमी)। चूंकि सीडब्ल्यूसी और एसएसपी अधिकारियों को जलग्रहण क्षेत्र में हर घंटे हुई बारिश की जानकारी मिलती है, वे इसके आधार पर एसएसपी बाँध में पहुंचने वाले पानी का पूर्वानुमान लगा सकते थे और इसके अनुसार बाँध से नीचे नदी क्षमता के अनुरूप पानी का बहाव बढ़ा सकते थे।
नर्मदा पर बरगी बांध के गेट 14 सितंबर को पहले ही खोल दिए गए थे। 15 सितंबर की देर शाम तक, सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के अनुसार, नर्मदा पर इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर दोनों बांधों का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया था।
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-11.50.43-am.png?w=663)
15 सितंबर की देर रात तक ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर दोनों बांध अपने पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) के करीब थे, बरगी बांध बहुत पहले ही एफआरएल तक पहुंच गया था। ये सभी उच्च स्तर भी स्पष्ट रूप से रूल कर्व सिद्धांत का उल्लंघन थे। यह एसएसपी अधिकारियों के लिए 14 और 15 सितंबर को एसएसपी के गेट खोलने का एक और संकेत था क्योंकि इन ऊपरी क्षेत्र में बने बांधों से छोड़ा गया पानी अंत में एसएसपी बांध में ही पहुँचता है।
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-9.13.54-am.png?w=663)
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-9.09.26-am.png?w=663)
हालाँकि, 16 सितंबर को सुबह 10 बजे तक, आश्चर्यजनक रूप से, एसएसपी अधिकारियों ने कोई भी गेट नहीं खोला था, शायद केवल रिवर बेड पावर हाउस (आरबीपीएच) और कैनाल हेड पावर हाउस (सीएचपीएच) से पानी छोड़ा गया था, जिसकी कुल मात्रा 400 क्यूमेक्स (क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड) से भी कम थी। इसके बाद ही एसएसपी से पानी छोड़ना बढ़ाया गया जिसकी मात्रा 12:00 बजे तक बढ़कर 1600 क्यूमेक्स और 15:00 बजे तक 11,500 क्यूमेक्स तक पहुंच गई।
लगभग 48 से 72 घंटों की निष्क्रियता की यह अवधि, जब सीडब्ल्यूसी और सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (एसएसएनएनएल), — जो एसएसपी का प्रबंधन और संचालन करती है — के पास एसएसपी से नीचे नदी में पानी पानी छोड़ने की शुरुआत करने के लिए पर्याप्त कार्रवाई योग्य जानकारी उपलब्ध थी, के कारण ही एसएसपी अधिकारियों को 17 सितंबर को सुबह 05:00 बजे तक बांध से 52,706 क्यूमेक्स (18.76 लाख क्यूसेक) तक पानी छोड़ना पड़ा और उसके बाद कई घंटों तक बांध का जलस्तर उतना ही बनाये रखना पड़ा। इतनी बड़ी मात्रा में छोड़ा गया पानी, निश्चित रूप से बांध के नीचे नर्मदा नदी की वहन क्षमता से कई गुना अधिक था, जिससे हजारों लोग और परिवार प्रभावित हुए। इसी तरह, इससे बांध के ऊपरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बैकवाटर प्रभाव से अनेकों गांवों को बाढ़ की मार झेलनी पड़ी।
16 सितंबर को सुबह से, सीडब्ल्यूसी बाढ़ पूर्वानुमान निगरानी स्थलों (फ्लड फोरकास्ट एंड मॉनिटरिंग साइट्स) पर नर्मदा घाटी में लगभग एक दर्जन स्थल थे, जहां जलस्तर पहले से ही पिछले उच्चतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) को पार कर चुका था, इनमें से कुछ निगरानी स्थल निम्नलिखित हैं:
1. धार जिले के दहीवर में करम;
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.02.19-am.png?w=663)
2. खरगोन जिले के बड़वाह में कोरल;
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.05.03-am.png?w=663)
3. देवास जिले के डुडवास में दातुनी;
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.18.59-am.png?w=663)
4. खरगोन जिले के सतवाड़ी (गोगावा) में बेड़ा;
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.22.24-am.png?w=663)
5. होशंगाबाद जिले के मिसरोद में हाथेड;
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.25.25-am.png?w=663)
6. बड़वानी जिले के खजूरी में देब;
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.28.17-am.png?w=663)
7. हरदा जिले के चारुवा में कालीमाचक;
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.32.08-am.png?w=663)
8. खरगोन जिले के मेंधीखेड़ा में कनेर;
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.35.59-am.png?w=663)
9. बड़वानी जिले के ठीकरी में बोराद:
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.39.21-am.png?w=663)
10. खंडवा जिले के बमगढ़ (छोटा तवा नदी);
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-1.21.03-pm.png?w=663)
11. खंडवा जिले में अबना;
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-1.26.15-pm.png?w=663)
12. खरगोन जिले में मंडलेश्वर।
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.07.42-pm.png?w=663)
एसएसपी अधिकारियों द्वारा अग्रिम कार्रवाई करने का यह एक और कारण था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
इसके बाद और अधिक निगरानी स्थलों पर बाढ़ स्तर एचएफएल को पार कर गया :
– धार जिले के गोपालपुरा में मान:
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-12.18.49-pm.png?w=663)
– खंडवा के मोरटक्का में, जहां नर्मदा पर बना पुल 2019 के बाद एक बार फिर डूब गया, जलस्तर 173.736 मीटर के एचएफएल को पार करने में केवल 0.88 मीटर से चूक गया:
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-1.18.02-pm.png?w=663)
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आईएमडी और यहां तक कि बीबीसी जैसे वैश्विक समाचार चैनलों ने भी 15 सितंबर की रात को ऐसी भारी बारिश की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। लेकिन भले ही एसएसपी और सीडब्ल्यूसी अधिकारी ऐसे पूर्वानुमानों को अविश्वसनीय कहना चाहें, लेकिन जो 14 सितंबर के बाद से ही नर्मदा बेसिन में हुई बारिश, एसएसपी अधिकारियों के लिए बांध से पहले ही पानी छोड़ना शुरू करने के लिए पर्याप्त कार्रवाई योग्य जानकारी थी जिससे उनके द्वारा इस बाढ़ को आपदा में तब्दील करने की स्थिति को टाला जा सकता था।
लेकिन एसएसपी अधिकारियों ने 17 सितंबर को सुबह 05:00 बजे तक एसएसपी पर जल स्तर 138.68 मीटर एफआरएल तक पहुंचने का इंतजार किया। एक बार जब जलस्तर एफआरएल तक पहुंच गया, तो एसएसपी अधिकारियों के पास आवक के अनुरूप में पानी छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। जिसका सीडब्ल्यूसी ने 20,000 क्यूमेक्स को पार करने का अनुमान लगाया था, हालांकि यह मात्रा वास्तविक आवक से बहुत काम थी। 17 सितंबर, 2023 को 01:00 बजे तक एसएसपी में प्रवाह 63,950 क्यूमेक्स (22.58 लाख क्यूसेक) तक पहुंच गया।
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-16-at-11.12.01-am.png?w=663)
16 सितंबर 2023 को 17 सितंबर 2023 और उसके बाद के छह दिनों के लिए किए गए एसएसपी के लिए सीडब्ल्यूसी के प्रवाह पूर्वानुमान के उपरोक्त स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि वास्तविक प्रवाह के मुकाबले यह अनुमान से कितना कम था। वास्तविक उच्चतम प्रवाह 63,950 क्यूमेक्स था जबकि पूर्वानुमान 33,000 क्यूमेक्स से कम था। ऐसे घोर गलत पूर्वानुमानों के लिए सीडब्ल्यूसी को कौन जवाबदेह ठहराएगा?
एसएसपी अधिकारी किस बात का इंतजार कर रहे थे, इसका एक संभावित कारण 17 सितंबर की सुबह बांध स्थल पर आयोजित समारोह से मिला, जिसमें मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं और धन्यवाद भी दिया।
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-11.43.37-am.png?w=663)
यह पहली बार नहीं है कि गुजरात के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को इस तरह जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने पहले भी, 2017[i] से लगभग हर साल ऐसा किया है। सितंबर 2020[ii] में, इस प्रक्रिया में, उन्होंने एसएसपी बांध के निचले इलाकों में इसी तरह की टाले जा सकने वाली बाढ़ की विभीषिका पैदा की। वास्तव में गुजरात के अधिकारियों ने तब झूठा दावा किया[iii] कि उन्होंने भरूच को बचा लिया! इसके विपरीत, उन्होंने अपने स्वयं के बाढ़ प्रबंधन मानदंडों का उल्लंघन किया[iv] था। इसके बारे में कुछ जानकारी गुजराती[v] में भी देखी जा सकती है: https://tinyurl.com/y5naz3sp और https://tinyurl.com/y5cmsw76।
तथ्य तो यह है कि एसएसपी अधिकारी अन्य अवसरों की तरह सितंबर 2020 में गैर-जिम्मेदार बांध संचालन के सवाल और परिणाम से बच निकले। ऐसा ही भारत में कई अन्य बांध संचालकों के साथ होता है। यह एक और कारण है कि क्यों एसएसपी अधिकारियों ने पिछले अनुभव, कार्रवाई योग्य जानकारी उपलब्ध होने और रूल कर्व (नियम वक्र) नियमों के आधार पर बाढ़ को टालने के लिए समय पर अग्रिम कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई होगी। उन्हें पूरा यकीन था कि कोई भी उन्हें छूने वाला या जवाबदेह ठहराने वाला नहीं है। यह सब यह भी दर्शाता है कि बांध सुरक्षा अधिनियम का ताम-झाम और इसे राज्य एवं केंद्रीय स्तर पर लागू करने का सन्स्थानिक ढांचा कितना कमजोर है। इससे यह भी पता चलता है कि कैसे सीडब्ल्यूसी अधिकारी एक बार फिर अपने काम में विफल रहे हैं और उन्हें किसी भी सवाल का जवाब नहीं देना पड़ रहा है।
इस रिपोर्ट का अंग्रेजी संस्करण यहाँ देख सकते हैं। इस लेख के दूसरे भाग को पढ़ने के लिए लिंक हिंदी एवं अंग्रेजी देखें।
SANDRP (ht.sandrp@gmail.com)
Other Parts of this analysis:
1. Part 1 of analysis in English: https://sandrp.in/2023/09/17/unaccountable-sardar-sarovar-operators-again-bring-avoidable-floods-in-downstream-gujarat/
2. Part 2 of analysis in English: https://sandrp.in/2023/09/20/avoidable-flood-disaster-from-unaccountable-sardar-sarovar-operation-why-was-river-bed-power-house-stopped-since-sept-6/
3. Part 1 of analysis in Hindi: https://shorturl.at/ctDM1
4. Part 2 of analysis in Hindi: https://shorturl.at/qxAOZ
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-6.46.59-pm.png?w=604)
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-6.45.48-pm.png?w=663)
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-7.02.12-pm.png?w=580)
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-6.43.44-pm.png?w=575)
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-7.09.56-pm.png?w=663)
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-6.53.57-pm.png?w=576)
![](https://sandrp.in/wp-content/uploads/2023/09/screenshot-2023-09-17-at-6.58.46-pm.png?w=663)
[i] https://sandrp.in/2017/09/16/happy-birthday-narendrabhai-but-why-drown-the-narmada-valley-this-day/
[ii] https://sandrp.in/2020/09/02/sardar-sarovar-creates-avoidable-flood-disaster-in-bharuch/
[iii] https://sandrp.in/2020/09/06/ssd-induced-bharuch-flood-disaster-ssnnl-claims-it-saved-bharuch/
[iv] https://sandrp.in/2020/09/13/how-ssnnl-violated-its-own-flood-memorandum-2020-during-recent-ssd-induced-floods/
[v] https://tinyurl.com/y5naz3sp; https://tinyurl.com/y5cmsw76