Ken River

केन नदी को जीवित रखते, झीरा, झीना, डबरा, डबरी, दहार

(Feature Image:-  पवई में सिमरा बहादुर के पास केन नदी के घुमाव पर बने दहार का एक फोटो। (Image taken during Ken River Yatra by SANDRP & Veditum) 

यह रिपोर्ट भीम सिंह रावत, साउथ एशिया नेटवर्क आन डैमस्, रिवर्स एंड पीपल (सैनड्रप) दिल्ली और सिद्धार्थ अग्रवाल, वेदितम इंडिया फाउंडेशन, कलकता द्वारा केन नदी की तैंतीस दिवसीय पदयात्रा के अनुभव पर आधारित है। इस पदयात्रा को जून एवं अक्टूबर 2017 और अप्रैल 2018 के दौरान तीन चरणों में पूरा किया गया था। रिपोर्ट का उद्देश्य यात्रा से मिले अनुभवों और समझ को साँझा करना है। पहले भी हम नदी यात्रा के विभिन पक्षों के बारे में लिख चुके हैं। जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं –एक, दो, तीन,। आगे भी हम केन नदी के अनसुने पहलुओं को उजागर करने का प्रयास जारी रखेंगे।

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Ramganga

उत्तराखंड: सड़क मलबे में दफन होती रामगंगा की धाराएं

यह सचित्र रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण दौरान उत्तपन्न मलबे को नियमों के विपरीत छोटी जलधाराओं, गदेरों में फेंक दिया जाता है जो नदी पर्यावरण तंत्र को तात्कालिक तौर पर नुकसान पहुँचाने के अलावा भविष्य में किसी बड़ी आपदा का कारक भी बन सकती है।  

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Gharat

घराट: सामाजिक देखभाल, सरकारी सहयोग की राह देखती लुप्त होती धरोहर

पनचक्कियां सदियों से उत्तराखंड के पर्वतीय समाज का अटूट हिस्सा रही हैं। स्थानीय तौर पर इन्हें घट, घराट आदि अनेक नामों से जाना जाता है। कुछ दशक पहले तक ये घराट अनाजों को पीसकर आटा बनाने का प्रमुख साधन रहे हैं। परन्तु कालांतर में अनेक कारणों से यह परम्परागत तकनीक, समाज और सरकार की अनदेखी का शिकार होकर विलुप्त होती जा रही है। ऐसा ही कुछ पौड़ी गढ़वाल स्थित चौथान पट्टी में देखने को मिल रहा है। यह लेख चौथान क्षेत्र में घराट संस्कृति के क्रमिक परित्याग की वजहों के पड़ताल की दिशा में एक प्रयास है।

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